यूपी के गैंगस्टर जब्बार गौरी और उसके साथियों की गिरफ्तारी, सिरगिट्टी थाने का आरक्षक बर्खास्त

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बिलासपुर: उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर जब्बार गौरी और उसके साथियों को पुलिस ने हथियार और गांजा के साथ गिरफ्तार किया है। हिरासत में लिए गए आरोपियों से पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि वे सिरगिट्टी थाने के आरक्षक बबलू बंजारे के संपर्क में थे। आरक्षक ने तस्करों को पुलिस की गोपनीय जानकारी पहुंचाई और लेन-देन में शामिल पाया गया। इसके आधार पर एसपी रजनेश सिंह ने आरक्षक को बर्खास्त कर दिया है।

संदिग्ध गतिविधियों की सूचना पर कार्रवाई

हिर्री पुलिस को 13 मई को सूचना मिली थी कि बेलमुंडी स्थित एक सूने यार्डनुमा मकान में आठ-10 बाहरी लोग ठहरे हुए हैं। उनकी संदिग्ध गतिविधियों और घातक हथियारों के साथ होने की सूचना मिलने पर एसीसीयू, चकरभाठा और हिर्री थाने के जवानों की टीम बनाई गई। पुलिस की टीम मौके पर पहुंची तो संदिग्धों ने भागने की कोशिश की, लेकिन चारों तरफ से की गई घेराबंदी के कारण उन्हें पकड़ लिया गया। पुलिस ने मौके से यूपी और महाराष्ट्र के 10 लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से घातक हथियार, दो कार, दो ट्रक और 21 किलो गांजा बरामद किया।

आरक्षक की संलिप्तता

पूछताछ में पता चला कि आरोपित जब्बार गौरी यूपी का कुख्यात गैंगस्टर है। इसके अलावा, उसके साथियों के खिलाफ भी यूपी के विभिन्न थानों में मामले दर्ज हैं। जांच में खुलासा हुआ कि आरोपित सिरगिट्टी थाने के आरक्षक बबलू बंजारे के संपर्क में थे। आरक्षक तस्करों को पुलिस की गतिविधियों की जानकारी देता था और लेन-देन के हिसाब-किताब को वाट्सएप पर रखता था। एसपी रजनेश सिंह ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए आरक्षक को बर्खास्त कर दिया है।

वाट्सएप पर लेन-देन का हिसाब

जांच में पाया गया कि आरक्षक बबलू बंजारे वाट्सएप के माध्यम से तस्करों के संपर्क में था और उन्हें पुलिस की गतिविधियों की जानकारी देता रहता था। लेन-देन के लिए उसने कई बार कोड तस्करों को दिए और पेमेंट के स्क्रीनशॉट भी वाट्सएप पर भेजे। आरक्षक ने सभी लेन-देन का हिसाब-किताब वाट्सएप पर ही रखा था।

पूर्व में दर्ज मामले

बर्खास्त आरक्षक बबलू बंजारे के खिलाफ सकरी थाने में मवेशियों की तस्करी का मामला दर्ज है। इसके अलावा, महिला थाने में दर्ज दुष्कर्म के मामले में भी वह आरोपित है। आरक्षक ने विभागीय जांच के दौरान झूठा मेडिकल रिपोर्ट पेश कर कार्रवाई से बचने का प्रयास किया, लेकिन उसकी लगातार अपराधियों के संपर्क में रहने के कारण उसे बर्खास्त कर दिया गया।

आगे की जांच

आरक्षक बबलू बंजारे पूर्व में कई पुलिस अधिकारियों के साथ रह चुका है, जिसका फायदा उठाते हुए उसने गो-तस्करों से अपनी सेटिंग जमा ली और उन्हें संरक्षण देने का काम शुरू कर दिया। इस पूरे मामले की हर दिशा में जांच की जा रही है, ताकि आरोपियों को संरक्षण देने वाले अन्य नाम भी सामने आ सकें।

इस घटना ने पुलिस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और तस्करों के साथ मिलीभगत के गंभीर मुद्दों को उजागर किया है। पुलिस प्रशासन को इस दिशा में और सख्ती बरतनी होगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और कानून का पालन सुनिश्चित हो सके।