अस्पताल में एचआईवी मरीज की पहचान उजागर किए जाने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार

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हाईकोर्ट ने कहा- यह आचरण अत्यंत असंवेदनशील और निंदनीय

मुख्य सचिव से मांगा जवाब, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल रायपुर का मामला

बिलासपुर:
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर के डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में एचआईवी पॉजिटिव महिला की पहचान सार्वजनिक करने की घटना को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र मांगा है।

कोर्ट ने टिप्पणी की—

“यह कृत्य न केवल अमानवीय है, बल्कि मानव गरिमा और निजता के अधिकार का गंभीर उल्लंघन है।”

क्या है मामला

10 अक्टूबर को मीडिया में खबर आई थी कि आंबेडकर अस्पताल के गायनी वार्ड और नर्सरी वार्ड के बीच एक पोस्टर लगाया गया था, जिसमें लिखा था, “बच्चे की मां एचआईवी पॉजिटिव है।” पोस्टर देखकर महिला के पति की आंखों में आंसू आ गए।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

अदालत ने कहा कि यह आचरण “अत्यंत असंवेदनशील और निंदनीय” है। ऐसी हरकतें रोगियों को सामाजिक कलंक, अपमान और भेदभाव का शिकार बनाती हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है।

सरकार से जवाब और सुधारात्मक कदम मांगे गए

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा है-

  • सरकारी अस्पतालों में मरीजों की गोपनीयता की मौजूदा व्यवस्था क्या है?
  • ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने के क्या प्रयास हैं?
  • डॉक्टरों व नर्सों को कानूनी व नैतिक जिम्मेदारियों की जानकारी कैसे दी जा रही है?

कोर्ट ने कहा कि दोबारा ऐसी गलती नहीं दोहराई जानी चाहिए।
अगली सुनवाई 15 अक्टूबर 2025 को होगी।