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बिलासपुर, छत्तीसगढ़। दुर्ग के एक ट्रांसपोर्टर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यह मामला एएसआई द्वारा क्यूआर कोड के जरिए रिश्वत मांगने और ट्रांसपोर्टर की शिकायत के बाद उत्पन्न विवाद से संबंधित है।
यह है मामला
दुर्ग निवासी सुखवंत सिंह एक ट्रांसपोर्टर हैं। उनके ट्रक को मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पुलिस ने जब्त कर कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने वाहन को सौंपने के लिए एक हजार रुपये जुर्माना पटाने की शर्त रखी थी। इसके बाद एएसआई नारद लाल टांडेकर ने वाहन को सौंपने के एवज में 15 हजार रुपये की रिश्वत मांगी। सुखवंत सिंह ने यह राशि ऑनलाइन क्यूआर कोड के जरिए दी थी।
शिकायत और एफआईआर
सुखवंत सिंह ने अधिवक्ता अनिल तवाडकर के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले को उठाया। याचिका में कहा गया है कि एएसआई नारद लाल टांडेकर, जो पुलिस स्टेशन दुर्ग में सहायक उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं, ने आईपीसी की धारा 279 के तहत दर्ज अपराध में जब्त वाहन को देने के लिए रिश्वत की मांग की थी। सुखवंत सिंह ने उच्च अधिकारियों के साथ-साथ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, रायपुर में शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत दर्ज होने के बाद, एएसआई ने सुखवंत सिंह के खिलाफ झूठी शिकायत थाने में दर्ज कराई और एट्रोसिटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने के साथ ही आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया।
हाई कोर्ट का निर्णय
हाई कोर्ट की डिविजन बेंच, जिसमें जस्टिस दीपक कुमार तिवारी और जस्टिस अरविंद वर्मा शामिल हैं, उन्होने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता सुखवंत सिंह को राहत देते हुए निचली अदालत की कार्रवाई पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई जुलाई के अंतिम पखवाड़े में होगी।
