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बिलासपुर: हाई कोर्ट ने दहेज हत्या के एक मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी पुलिस कर्मी राजकुमार सोनकर को 10 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपने फैसले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस कर्मचारी होने के बावजूद, राजकुमार सोनकर ने अपराध को रोकने के बजाय खुद अपराध में संलिप्त होकर अपनी पत्नी की हत्या कर दी है। यह मामला अत्यंत गंभीर है और इसे दुर्लभ मामलों में गिना जाना चाहिए।
मामले का विवरण: मुंगेली जिले के फास्टरपुर चौकी स्थित ग्राम लगरा निवासी पुलिस कर्मी राजकुमार सोनकर ने 5 जुलाई 2013 को अपनी पत्नी बदन बाई से दहेज में मोटर साइकिल और अन्य सामान की मांग की। जब पत्नी ने इनकार किया, तो राजकुमार ने गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने नवविवाहिता की मौत को गंभीरता से लेते हुए जांच की और मृतका के पिता की शिकायत पर राजकुमार सोनकर के खिलाफ मामला दर्ज किया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला घोंटने से मौत की पुष्टि होने पर पुलिस ने राजकुमार और उसके माता-पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
न्यायालय का निर्णय: विवेचना और गवाहों के बयानों के आधार पर पुलिस ने मामले में धारा 304 (बी) जोड़ी और न्यायालय में चालान पेश किया। सत्र न्यायाधीश ने सुनवाई के बाद आरोपी पति को धारा 304 (बी) और 302 के तहत दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सास और ससुर को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया गया था।
हाई कोर्ट की सुनवाई: आरोपी ने विचारण न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि मामला दहेज हत्या का है और धारा 304 (बी) के तहत सजा सात वर्ष होनी चाहिए। आरोपी 10 साल से जेल में है और उसे रिहा किया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने अधिवक्ता आशीष तिवारी को न्याय मित्र नियुक्त कर उनसे इस पर अभिमत देने के लिए कहा था। न्याय मित्र ने विभिन्न हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और 10 साल की सजा की सिफारिश की।
कोर्ट का आदेश: कोर्ट ने न्याय मित्र की सिफारिश और सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत का हवाला देते हुए धारा 304 (बी) के तहत सजा को बढ़ाकर 10 वर्ष करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपित 30 सितंबर 2013 से जेल में बंद है और उसकी सजा की गणना के बाद उसे रिहा किया जाएगा।
इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले से स्पष्ट है कि दहेज हत्या जैसे गंभीर अपराधों में कठोर सजा दी जाएगी, विशेषकर जब आरोपी एक पुलिस कर्मी हो जो खुद कानून का पालन करने वाला हो।
