अरपा नदी में नालों का अशोधित पानी छोड़े जाने पर हाई कोर्ट ने जताई नाराज़गी, राज्य शासन और निगम कमिश्नर को नोटिस

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बिलासपुर:

अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है कि शहर के 70 छोटे-बड़े नालों का अशोधित पानी अभी भी सीधे अरपा नदी में छोड़ा जा रहा है। इस गंभीर मुद्दे पर हाई कोर्ट ने राज्य शासन और नगर निगम कमिश्नर को नोटिस जारी करते हुए शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह जानना चाहा कि अरपा नदी के जल को स्वच्छ रखने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशों का पालन किस तरह से किया जा रहा है।

यह जनहित याचिका हाई कोर्ट के अधिवक्ता अरविंद कुमार शुक्ला और पेंड्रा निवासी रामनिवास तिवारी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें अरपा नदी में बारहमासी पानी बनाए रखने, इसके संरक्षण, और साफ पानी छोड़े जाने की मांग की गई थी। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष यह बात सामने आई कि पिछले कई वर्षों से बिना शोधन के नालों का पानी नदी में छोड़ा जा रहा है, जिससे अरपा नदी का जल प्रदूषित हो रहा है।

निगम कमिश्नर से मांगी गई विस्तृत कार्ययोजना

हाई कोर्ट ने नगर निगम कमिश्नर को अरपा नदी के जल को स्वच्छ रखने के लिए बनाई गई कार्ययोजना की जानकारी शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि नगर निगम यह सुनिश्चित करे कि नदी में छोड़ा जाने वाला ड्रेनेज वाटर पहले साफ किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।

इससे पहले की सुनवाई में भी कोर्ट ने राज्य शासन से अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन को लेकर बनाई गई योजना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने कहा था कि योजनाओं को विस्तार से प्रस्तुत किया जाए और यह भी बताया जाए कि स्थायी कार्य कब तक पूरे किए जाएंगे।