Share this article
कलेक्टर के आदेशों का भी नहीं हो रहा पालन
बिलासपुर:
बिलासपुर में स्वास्थ्य विभाग में चल रहे अटैचमेंट की समस्या का असर अब स्वास्थ्य सुविधाओं पर साफ तौर पर देखा जा रहा है। कलेक्टर अवनीश शरण के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद कई स्वास्थ्य अधिकारी अपने मूल पदों पर लौटने से इनकार कर रहे हैं। इसका सीधा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है, जहां स्टाफ की भारी कमी हो गई है।
कलेक्टर अवनीश शरण ने स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों को सख्त आदेश दिए थे कि वे अपने मूल पदों पर जाकर कार्य करें। इसके बावजूद, कुछ अधिकारी अपनी मर्जी से प्रमुख कार्यालयों में तैनात रह रहे हैं। इनमें चिरायु टीम के सदस्य डॉ. सौरभ शर्मा का नाम भी शामिल है, जिनकी मूल पदस्थापना बिल्हा में है। उनका कार्य जरूरतमंद बच्चों का उपचार करना है, लेकिन वे पिछले पाँच साल से स्वास्थ्य विभाग में अटैच हैं और अपने पद पर नहीं लौट रहे हैं।
कलेक्टर अवनीश शरण द्वारा डॉ. सौरभ शर्मा को उनके मूल स्थान पर लौटने के आदेश के बावजूद, वे अब तक वहां नहीं गए। इससे साफ है कि स्वास्थ्य विभाग में अधिकारी अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर रहे हैं और अपने चहेते कर्मचारियों को मलाईदार जगहों पर बनाए रख रहे हैं। ऐसे कई अन्य मामले भी सामने आए हैं, जहां अधिकारी-कर्मचारी अपनी पसंद की जगहों पर बैठे हुए हैं।
इस स्थिति का सबसे बड़ा खामियाजा ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों को भुगतना पड़ रहा है, जहां स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। कई स्वास्थ्य केंद्रों में तो एक भी स्टाफ सदस्य मौजूद नहीं है, जिससे गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसके बावजूद, कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके मूल स्थान पर न भेजकर उन्हें अभयदान दिया जा रहा है।
क्या कहना है स्वास्थ्य विभाग का:
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. प्रभात श्रीवास्तव के अनुसार, “निर्देशों के बाद कर्मचारियों को उनके मूल स्थान पर भेजा जा रहा है। कुछ ऐसे कर्मचारी भी हैं जिनकी मौजूदा स्थिति में आवश्यकता है, उनकी जानकारी प्रशासन को दी गई है और उपयोगिता को देखते हुए उन्हें अभी मूल स्थान पर नहीं भेजा गया है।”
