दोस्ती का हवाला देकर लिया कर्ज, चेक बाउंस होने पर मिली दो साल की सजा

Share this article

बिलासपुर: दोस्ती का हवाला देकर अपने मित्र से कर्ज लेने वाले जनकराम कैवर्त को कोर्ट ने चेक बाउंस के मामले में दोषी पाते हुए दो साल की सजा सुनाई है। साथ ही, उसे छह लाख दस हजार रुपये का मुआवजा भी अदा करने का आदेश दिया गया है। राशि का भुगतान न करने पर अभियुक्त को आठ महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

मामले का विवरण:

आवेदक अनुज मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि जनकराम कैवर्त को मित्रवत संबंध के चलते 1 जुलाई 2014 को छह लाख रुपये का कर्ज दिया गया था। यह कर्ज बैंक ऑफ इंडिया की व्यापार विहार शाखा से लिया गया था। कर्ज की अदायगी के लिए जनकराम ने चेक जारी किया था, लेकिन चेक बाउंस हो गया। चेक बाउंस होने की वजह उसके खाते में “अपर्याप्त निधि” होना था।

अभियुक्त की सजा:

अभियुक्त जनकराम कैवर्त पिता सीताराम कैवर्त, ग्राम मोपका के विरुद्ध धारा 138 अधिनियम, 1881 के तहत दंडनीय अपराध साबित होने पर कोर्ट ने उसे दोषी घोषित किया। इस अपराध के लिए अभियुक्त को दो वर्ष का साधारण कारावास और छह लाख दस हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया है।

अतिरिक्त सजा:

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि यदि अभियुक्त जनकराम कैवर्त जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करता है, तो उसे आठ महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। कोर्ट ने अभियुक्त की जमानत को निरस्त कर दिया है और उसे तुरंत गिरफ्तार कर सजा भुगताने के लिए कारागार भेजने का आदेश दिया है।

कोर्ट का फैसला:

अभियुक्त जनकराम कैवर्त को दोषसिद्ध पाते हुए कोर्ट ने कहा कि यह मामला स्पष्ट रूप से धारा 138 अधिनियम, 1881 के तहत दंडनीय अपराध है। अभियुक्त की जमानत पर रिहा होने के बाद भी उसने कर्ज की राशि वापस नहीं की, जिससे यह मामला गंभीर हो गया।