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बिलासपुर: अचानकमार टाइगर रिजर्व का राजू हाथी पिछले एक महीने से विशेष ड्यूटी पर है। बारनवापारा अभयारण्य में राजू के ऊपर चढ़कर वन अमला बाघ की खोजबीन में लगा हुआ है। इस क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी के संकेत मिले हैं और वन विभाग उसे सुरक्षित स्थान पर रेस्क्यू करने की योजना बना रहा है।
बाघ की पुष्टि और ग्रामीणों में दहशत
मार्च में पहली बार बाघ की पुष्टि बारनवापारा अभयारण्य के सिरपुर रोड में हुई थी। एक ग्रामीण ने बाघ का वीडियो बनाकर वन विभाग को सूचित किया। प्रारंभ में विभाग ने इस खबर को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन बाद में इसकी पुष्टि होने पर वन विभाग पूरी तरह अलर्ट हो गया। ग्रामीणों को वन विभाग की अनुमति के बिना जंगलों में जाने से रोक दिया गया है, जिससे क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
ट्रैकिंग टीमें और सहायता
बाघ पर नजर रखने के लिए तीन ट्रैकिंग टीमें बनाई गई हैं। इसके साथ ही कानन पेंडारी जू और अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) से भी सहायता ली जा रही है। कानन पेंडारी जू से ट्रैंक्यूलाइजर गन चलाने में विशेषज्ञ और वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. पी.के. चंदन को बुलाया गया है। वहीं, एटीआर के राजू हाथी को भी महावत के साथ बारनवापारा भेजा गया है। राजू हाथी की मदद से बाघ को कई बार ट्रेस भी किया गया है, लेकिन रेस्क्यू की स्थिति अभी तक नहीं बन पाई है।
राजू हाथी की विशेषताएं
राजू हाथी पालतू है और कई साल से एटीआर के सिंहावल सागर के पास हाथी कैंप में है। बरसात के समय में एटीआर प्रबंधन राजू के सहारे उन क्षेत्रों की निगरानी करता है, जहां वाहन नहीं पहुंच पाते और पैदल ट्रैकिंग करना भी मुश्किल होता है। राजू की इन विशेषताओं के कारण वन मुख्यालय से अनुमति लेकर उसे बारनवापारा भेजा गया है।
रेडियो कॉलर लगाकर छोड़ा जाएगा बाघ
वन विभाग की योजना है कि बाघ को रेस्क्यू करने के बाद उसे रेडियो कॉलर लगाया जाएगा। अचानकमार टाइगर रिजर्व में पूर्व में भी इस उपाय का सफल प्रयोग हो चुका है। सूरजपुर से रेस्क्यू कर लायी गई बाघिन को रेडियो कॉलर लगाकर अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया था, जो छह महीने बाद एक बटन दबाते ही ऑटोमेटिक रूप से निकल गया। हालांकि, बारनवापारा के बाघ को रेस्क्यू करने के बाद उसे किस जंगल में छोड़ा जाएगा, यह अभी तय नहीं है। संभवतः उसे अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा जा सकता है।
