पुलिस हिरासत में मौत: हाईकोर्ट ने कहा- यह कस्टोडियल बर्बरता का उदाहरण, राज्य को मुआवजा देना होगा

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बिलासपुर:
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत के मामले में राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मृतक दुर्गेंद्र कैठोलिया के परिवार को 5 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया और कहा कि हिरासत में हुई मौत का कारण स्पष्ट करना राज्य की जिम्मेदारी है।

धमतरी जिले के अर्जुनी थाना में दुर्गेंद्र कैठोलिया को 29 मार्च 2025 को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दो दिन बाद, 31 मार्च को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां वे स्वस्थ थे। शाम को उन्हें थाने में रखा गया और कुछ ही घंटों में उनकी मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 24 पूर्व-मृत्यु चोटों का जिक्र है। मौत का कारण दम घुटने से हुई श्वसन विफलता बताया गया।

अदालत ने कहा कि पुलिस ने मृतक की मौत को छिपाने की कोशिश की और यह प्राकृतिक मौत नहीं बल्कि पुलिस अत्याचार का परिणाम है। यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि हिरासत में मौत के मामलों में मुआवजा देना आवश्यक है।

कोर्ट का आदेश:

  • मृतक की पत्नी दुर्गा देवी को 3 लाख
  • उनके दो नाबालिग बच्चों की देखभाल के लिए
  • माता-पिता को प्रत्येक 1 लाख
  • भुगतान 8 हफ्ते के भीतर, न होने पर 9% ब्याज लागू

कोर्ट ने राज्य को चेतावनी दी कि पुलिस को मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाया जाए और डी.के. बसु दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए।