छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अस्पष्ट याचिका पर जताई नाराजगी, 2000 रुपये का जुर्माना लगाया

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बिलासपुर:
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अदालत में अधूरी और अस्पष्ट याचिकाएँ न्यायिक समय की बर्बादी हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने गाजियाबाद निवासी हीरालाल सक्सेना की अंतरिम राहत याचिका को अस्पष्ट बताते हुए खारिज कर दिया और 2000 रुपये का जुर्माना लगाया।

याचिकाकर्ता ने पुलिस थाना खम्हारडीह, रायपुर में दर्ज एफआइआर की कार्यवाही रोकने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने कहा कि आवेदन में स्पष्ट नहीं था कि किस प्रकार की राहत चाहते हैं। अदालत ने टिप्पणी की कि केवल रोकने का हवाला देने से काम नहीं चलेगा, राहत की मांग स्पष्ट और सटीक होनी चाहिए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने आवेदन वापस लेने की अनुमति मांगी। अदालत ने अनुमति दी, लेकिन जुर्माना लगाया और कहा कि अस्पष्ट प्रार्थना करने और समय पर सुधार न करने से न्यायालय का समय व्यर्थ हुआ।

जुर्माने की राशि विशेष विद्यालय को दी जाएगी:
अदालत ने निर्देश दिया कि 2000 रुपये की राशि जिला नारायणपुर के मानसिक रूप से दिव्यांग बालिकाओं के विशेष विद्यालय को भेजी जाए। रजिस्ट्री को यह राशि याचिकाकर्ता से प्राप्त कर संस्था को हस्तांतरित करने का आदेश दिया गया।