सुकमा रेजिडेंशियल स्कूल में बच्चों की थाली में ‘फिनाइल’, हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

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426 छात्रों की जान पर बन आई, कलेक्टर ने गठित की जांच टीम, हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को दिए कड़े निर्देश


बिलासपुर:

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पकेला रेजिडेंशियल पोटाकेबिन स्कूल में 21 अगस्त की रात बड़ा हादसा टल गया। 426 बच्चों के लिए बनाई गई सब्जी में कथित तौर पर फिनाइल मिला दी गई थी। सौभाग्य से, भोजन परोसने से पहले शिक्षक ने चख लिया और तेज गंध से साजिश का पता चल गया। घटना के बाद कलेक्टर ने तत्काल जांच टीम गठित कर दी। इस गंभीर मामले पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने इस घटना को आपराधिक कृत्य करार देते हुए मुख्य सचिव से रिपोर्ट पेश करने को कहा है। अदालत ने साफ कहा कि बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी ऐसी घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।

यह है मामला

21 अगस्त की रात स्कूल में 426 बच्चों के लिए बनाए गए खाने में कथित तौर पर फिनाइल मिला दिया गया था। सौभाग्य से, भोजन परोसने से पहले शिक्षक द्वारा चखने पर तेज गंध आई और हादसा टल गया। स्कूल अधीक्षक ने बताया कि रात के खाने में 48 किलो बीन्स बनाई गई थी। यदि उसमें मिलाई गई फिनाइल बच्चों तक पहुंच जाती, तो सभी की जान खतरे में पड़ सकती थी। फिनाइल एक जहरीला केमिकल है, जो सफाई व डिसइन्फेक्शन के काम आता है, लेकिन इंसानों के लिए घातक है।

इस घटना के सामने आते ही कलेक्टर सुकमा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच टीम गठित की, जिसमें एसडीएम, डीएमसी और एपीसी शामिल किए गए हैं। छात्रों के अनुसार, सब्जी में मिलावट एक शिक्षक द्वारा की गई और एक बच्चे ने चेहरे पर गमछा बांधे एक व्यक्ति को सब्जी में कुछ डालते देखा।


हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

हाईकोर्ट ने कहा कि यदि यह भोजन बच्चों को परोस दिया जाता, तो यह समाज और अभिभावकों का शिक्षा तंत्र पर से विश्वास पूरी तरह तोड़ देता। अदालत ने इसे केवल लापरवाही नहीं बल्कि आपराधिक कृत्य माना और कहा कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य को अधिक सतर्क रहना होगा।


मुख्य सचिव को दिए गए दिशा-निर्देश

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि–

  • फूड सेफ्टी प्रोटोकॉल: हर भोजन शिक्षक द्वारा चखा जाए और टेस्टिंग रजिस्टर में दर्ज हो।
  • रसोई की स्वच्छता: केमिकल पदार्थ खाद्य सामग्री से अलग रखे जाएं, नियमित निरीक्षण हो।
  • जवाबदेही तय: हेडमास्टर/वार्डन को सीधे जिम्मेदार ठहराया जाए।
  • सुरक्षा: रसोई में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश रोका जाए, सीसीटीवी लगाए जाएं।
  • प्रशिक्षण: रसोइयों व स्टाफ को भोजन सुरक्षा व स्वच्छता का प्रशिक्षण दिया जाए।
  • चिकित्सा तैयारी: स्कूल-हॉस्टल में फर्स्ट एड किट और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से आपातकालीन मदद की व्यवस्था हो।
  • अभिभावक सहभागिता: पेरेंट-टीचर मॉनिटरिंग कमेटी बनाई जाए।
  • कानूनी कार्रवाई: भोजन में जानबूझकर मिलावट पर तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए।
  • शिकायत तंत्र: राज्यस्तरीय हेल्पलाइन और अनिवार्य रिपोर्टिंग व्यवस्था बने।
  • ऑडिट: भोजन योजनाओं का नियमित स्वतंत्र ऑडिट किया जाए।

अगली सुनवाई

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से 17 सितंबर तक हलफनामा पेश कर बताने को कहा है कि इस संबंध में अब तक क्या कदम उठाए गए।