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शैक्षणिक संस्थान में व्यावसायिक आयोजनों और ध्वनि प्रदूषण पर हाईकोर्ट सख्त, प्राचार्य व प्रबंध समिति से मांगा जवाब
कलेक्टर, एसपी और थाना प्रभारी से भी मांगा कार्रवाई का ब्योरा
बिलासपुर:
शहर के प्रतिष्ठित सीएमडी कॉलेज के मैदान में लगातार हो रहे व्यावसायिक आयोजनों और कानफोड़ू लाउडस्पीकर के शोर को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। लिंक रोड निवासी अब्दुल जुनैद द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ए.के. प्रसाद की एकलपीठ ने कॉलेज की शिक्षण एवं प्रशासी समिति के अध्यक्ष और प्राचार्य को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही जिला कलेक्टर, एसपी और तारबाहर थाना प्रभारी से पूर्व के आदेश के अनुपालन पर विस्तृत प्रतिवेदन मांगा गया है।
कालेज परिसर में सालभर होती है तेज आवाज वाली गतिविधियां
याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के माध्यम से कोर्ट को बताया कि उनका निवास सीएमडी कॉलेज मैदान के ठीक सामने है, जहां कॉलेज की शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा बारहों महीने विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक आयोजन किए जाते हैं। इन आयोजनों में तेज आवाज वाले लाउडस्पीकरों का जमकर उपयोग होता है। फिल्मी गीत, कवि सम्मेलन, भाषण, कॉमेंट्री आदि से निकलने वाला शोर इतना तेज होता है कि याचिकाकर्ता का परिवार मानसिक तनाव और शारीरिक असुविधा से जूझ रहा है।
पढ़ाई और शांति दोनों प्रभावित, शिकायतों के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
याचिका में यह भी कहा गया है कि लाउडस्पीकर के अत्यधिक शोर से बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है और घर में सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो गया है। आयोजनों के दौरान मना करने या शिकायत करने पर भी आयोजकों या कॉलेज प्रशासन द्वारा कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया जाता।
पूर्व में भी दिया जा चुका है कोर्ट का आदेश
याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि वर्ष 2019 में उनके पिता की गंभीर बीमारी के दौरान ऐसे आयोजनों से उपजे ध्वनि प्रदूषण ने उनके स्वास्थ्य को और बिगाड़ दिया था, जिससे बाद में उनकी मृत्यु हो गई। इस मामले में पहले भी हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 21 जनवरी 2025 को स्पष्ट आदेश जारी किए थे और सभी संबंधित अधिकारियों को ध्वनि प्रदूषण रोकने हेतु आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। लेकिन इसके बावजूद 13 मार्च 2025 सहित कई अन्य तिथियों में फिर से तेज लाउडस्पीकर बजाए गए।
कोर्ट ने सभी पक्षों से मांगा जवाब, अगली सुनवाई तक रखी निगरानी
प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि पूर्व के निर्देशों का पालन नहीं हुआ है तो यह गंभीर उल्लंघन है। न्यायालय ने प्राचार्य व प्रशासी समिति के अध्यक्ष सहित जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए विस्तृत प्रतिवेदन कोर्ट में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई तक हाईकोर्ट द्वारा की जा रही निगरानी जारी रहेगी।
