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बिलासपुर:
फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम श्रेणी की अदालत ने दुष्कर्म के आरोप में महेश्वर गिरी गोस्वामी उर्फ झिथरा को 20 साल की सजा सुनाई है। अदालत ने भारतीय दंड संहिता और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपित को दोषी ठहराया। इसके साथ ही अदालत ने आरोपी पर जुर्माना भी लगाया और आदेश दिया कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। अदालत ने आरोपी की जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित करने के निर्देश भी दिए हैं। इसके अलावा, पीड़िता को मुआवजे के रूप में 6 लाख रुपये देने का आदेश भी दिया गया है।
मामले का विवरण
सीपत थाना क्षेत्र की एक 16 वर्ष से कम आयु की बालिका के साथ दुष्कर्म का मामला दिसंबर 2022 में सामने आया था। आरोप है कि महेश्वर गिरी गोस्वामी ने तीन दिसंबर 2022 को शाम लगभग छह बजे पीड़िता को विवाह का झांसा देकर उसका यौन शोषण किया। पीड़िता के दत्तक पिता ने चार दिसंबर 2022 को सीपत थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी बेटी, जिसे उन्होंने अपने साढ़ू भाई से गोद लिया था, उस दिन शाम को घर से गायब हो गई थी। उस समय परिवार दशगात्र कार्यक्रम में शामिल होने बाहर गया हुआ था। घर लौटने पर उन्होंने अपनी बेटी और गांव के महेश्वर गिरी गोस्वामी को गायब पाया।
पुलिस ने गुम इंसान की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। आरोपी को सात दिसंबर 2022 को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 363, 366 और 376(3) के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 5(1)/6 के तहत मामला दर्ज किया।
अदालत का फैसला
मामले की सुनवाई के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि आरोपी की न्यायिक अभिरक्षा की अवधि, जो 7 दिसंबर 2022 से 8 अगस्त 2024 तक है, उसे सजा में समायोजित किया जाएगा। इसके लिए अदालत ने धारा 428 दप्रसं के तहत प्रमाण पत्र तैयार करने के निर्देश दिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि घटना के समय पीड़िता की आयु 16 वर्ष से कम थी और उसकी शारीरिक और मानसिक पीड़ा को ध्यान में रखते हुए क्षतिपूर्ति योजना के तहत 6 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। इस मुआवजे का भुगतान सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर द्वारा किया जाएगा।
